Sunday 28 January 2018
संविधान में नहीं तो आखिर कहां से आया 'दलित' शब्द ???
संविधान में दलित शब्द का कोई जिक्र न मिलने के बाद नेशनल एससी कमीशन ने सभी राज्यों को निर्देशित किया कि राज्य अपने आधिकारिक दस्तावेजों में इस शब्द का इस्तेमाल न करें।
Wednesday 24 January 2018
सरकार का रिपोर्ट कार्ड तैयार : काम कर रही है एण्टी रोमियो स्क्वायड, आप भी जान लीजिए यह आंकड़े
Lucknow. यूपी में 2017 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद सत्ता में आई योगी सरकार ने अपनी वचनबद्धता निभाते हुए महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर नियंत्रण के लिए एण्टी रोमियो स्क्वायड के गठन का फैसला लिया। इस स्क्वायड के गठन की जहां चौतरफा सराहना की गयी वहीं इसके असली रंग में आते ही जनता त्राहिमाम करने लगी। आलम यह हुआ कि मनचले तो अपनी हरकतों को अंजाम देते रहे लेकिन घर से बहन भाई का साथ निकलना भी दूभर हो गया।
किसी को थाने में आधार कार्ड दिखाकर पुलिस के हाथ पैर जोड़ने पड़े, तो कुछ के अभिभावकों को थाने पहुंच भाई बहन होने के रिश्ते का प्रमाण देना पड़ा। चौकी से कुछ दूरी पर विद्यालय के भीतर घुसकर मनचलों ने छात्राओं को छेड़खानी का शिकार बनाया तो विरोध करने पर विद्यालय के चौकीदार को भी पीटा। फिलहाल इन सब चीजों से इतर सरकार अपने 9 माह पूरे होने पर इस स्क्वायड के आंकड़े जारी कर महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर काफी हद तक शिकंजा कसे होने का दावा करने को तैयार है। यह दावे इसलिए भी चौकाने वाले हैं क्योकि यह ठीक उसी समय जारी हो रहे हैं जब यूपी के बाराबंकी की रहने वाली एक बेटी खुद ही पीएम मोदी और सीएम योगी को खून से पत्र लिख मदद की गुहार लगा रही है। जबकि इससे पहले बलिया में रागिनी और कई अन्य लड़कियों के साथ हुई वारदातें भी कानून व्यवस्था को लेकर सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर चुकी है।
फिलहाल सरकार जिन आंकड़ों को सामने लाकर अपनी उपलब्धि गिनाना चाहती है अगर उन पर नजर डाली जाए तो उसके अनुसार रोजाना मनचलों के खिलाफ तकरीबन 6 केस दर्ज किये गये हैं। द इण्डियन एक्सप्रेस अखबार में छपी खबर के मुताबिक 9 माह की अवधि में तकरीबन 3003 लोगों को शिकंजा कसने का काम किया गया है। जिसकी लिस्ट सरकार गणतंत्र दिवस के मौके पर जारी करेगी। गौरतलब है कि सरकार के मुख्य सचिव राजीव कुमार द्वारा सोमवार को सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिख एण्टी रोमियो स्क्वायड की उपलब्धि बताई गयी है। इसके अनुसार 22 मार्च से 15 दिसंबर तक 9 लाख से भी अधिक लोगों को चेतावनी दी गयी है। जबकि 21 लाख लोगों की जांच की गयी है और 1706 लोगों को खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है।
Friday 19 January 2018
... बोले कांशीराम मैं तुम्हें ऐसा नेता बना सकता हूं जिसके पीछे कलेक्टरों की लाइन लगी रहेगी
Lucknow. दलित समाज के लिए एक बड़े नेता के तौर पर जाने जानी वाली बसपा सुप्रीमो मायावती शुरुआत से ही नेता बनने का सपना लेकर बड़ी नहीं हुई थीं। 1977 की सर्द रात में ग्यारह बजे मायावती ने खाना खाने के बाद पढ़ना शुरू ही किया कि उनके घर के दरवाजे पर आहट हुई। दरवाजा खोलने पहुंचे मायावती के पिता प्रभुदयाल ने देखा कि बाहर गले में मफलर डाले लगभग आधा गंजा हो चुका एक अधेड़ उम्र का शख्स खड़ा हुआ है। उस शख्स द्वारा परिचय दिये जाने पर प्रभुदयाल को पता चला कि वह बामसेफ के अध्यक्ष कांशीराम हैं। जो मायावती को एक भाषण के लिए आमंत्रित करने आए हुए हैं।
कांशीराम की जीवनी द लीडर आफ दलित्स में लिखी बातों के अनुसार कांशीराम ने मायावती से पहला सवाल किया कि वह क्या करना चाहती हैं। जिसके बाद मायावती का जवाब था कि वह आईएएस बन दलित समाज की सेवा करना चाहती है। उस समय मायावती का आईएएस बनने का ख्वाब देखने के कारण कोई निजी स्वार्थ नहीं बल्कि एक मात्र विचार दलितों की सेवा का था।
जिसकें बाद कांशीराम ने सवाल किया कि तुम आईएएस बन कर क्या करोगी? मैं तुम्हें एक ऐसा नेता बना सकता हूं जिसके पीछे एक नहीं बल्कि सैकड़ों कलेक्टरों की लाइन लगी रहेगी। उस समय तुम दलितों के लिए ज्यादा काम कर सकोगी। कांशीराम ने मायावती के सामने अपना विचार रखते हुए पिता प्रभुदयाल से उन्हें संगठन में काम करने की अनुमति प्रदान करने की बात कही। हालांकि पिता प्रभुदयाल के बात को टालने के बावजूद मायावती ने अपना असली उद्देश्य समय निर्णय लिया और आज वह इतनी बड़ी दलित नेता बन कर सभी के सामने हैं।
Thursday 18 January 2018
मानवाधिकार आयोग के जवाब मांगने के दो माह बाद सामने आया प्रकरण, सवालों के घेरे में यूपी पुलिस और सरकार
LUCKNOW. उत्तर प्रदेश पुलिस योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद लगातार एनकाउंटर के जरिए अपराध नियंत्रण का दावा कर रही है। इन्ही एनकाउंटर को आगे बढ़ाने की कड़ी में बुधवार को यूपी के मथुरा से एक बड़ी वारदात सामने आई। वारदात में पुलिस और बदमाशों के बीच हुई फायरिंग में एक बच्चे की मौत हो गयी। बच्चे को लगी गोली पुलिस की ओर से चलाई गयी या बदमाशों की ओर से यह अभी भी चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं आक्रोशित कुछ ग्रामीण तो किसी भी बदमाश होने की बात से ही इंकार कर रहे हैं।
गौरतलब है कि तकरीबन 2 माह पहले नवंबर 2017 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वतः कानून व्यवस्था को लेकर पुलिस द्वारा किये जा रहे एनकाउंटर का संज्ञान लेते हुए यूपी सरकार को नोटिस जारी किया था। जारी किये गये नोटिस में मुख्य सचिव को 6 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया था। यह नोटिस सीएम के उस बयान के बाद जारी हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि अपराधी या तो जेल जाएंगे या एनकाउंटर में मारे जाएंगे। आयोग का मानना था कि अगर कानून व्यवस्था बेहत गंभीर स्थिति में भी हो तो राज्य सरकार इस तरह की व्यवस्था नहीं दे सकती है जिसमें आरोपियों की एक्सट्रा ज्युडिशियल किलिंग की परमीशन दी जाए।
आयोग की ओर से इस तरह जवाब तलब करने के बाद बुधवार(17 जनवरी 2018) को सामने आई घटना में ग्रामीणों के अनुसार बदमाशों की आशंका में पुलिस की ओर से गोलीबारी की गयी। जिसमें आठ वर्षीय माधव की मौत हो गयी। माधव की मौत होते ही पुलिस वालों के होश उड़ गये। जिसके बाद बच्चे को लेकर आनन फानन में अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसकी मौत हो गयी।
बच्चे की मौत की खबर सामने आने के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा बच्चे के परिजनों को 5 लाख रूपये की आर्थिक सहायता देने की बात कही गयी है। फिलहाल बच्चे की मौत के बाद भी सियासत का दौर जारी है और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की ओर से दोषियों पर कार्रवाई कर अभिभावकों को 50 लाख रूपये देने की अपील की गयी है। लेकिन इन सभी चीजों के इतर बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या इस तरह एनकाउंटर किया जाना सही है या नहीं।
Monday 15 January 2018
लखनऊ के मोहम्मद बाग क्लब से लेकर शादी तक, कुछ ऐसा था अखिलेश डिंपल का सफर
Lucknow. यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के दिल पर राज करने वाली डिंपल यादव 15 जनवरी 2018 को अपना 40 वां बर्थडे मना रही हैं। पालिटिकल फैमिली से आने वाले अखिलेश और लेफ्टिनेंट कर्नल एससी रावत की बिटिया डिंपल की पर्सनल लाइफ किसी फिल्म से कम नहीं है। आज भी सार्वजनिल कार्यक्रमों में जब भी डिंपल और अखिलेश एक साथ शिरकत करते हैं तो सभी की निगाहें उन पर टिकी रह जाती हैं। पहले प्यार और फिर शादी के बंधन में बंधने वाले अखिलेश डिंपल के बीच जबरदस्त बॉन्डिंग नजर आती है।
बेहद ही सौम्य और शांत स्वभाव की डिंपल यादव और अखिलेश यादव की मुलाकात इंजीनियरिंग के दिनों में हुई थी। उस समय डिंपल 17 साल की थीं जबकि अखिलेश 21 साल के थे। कॉमन फ्रेंड के घर पर हुई मुलाकात के बाद डिंपल और अखिलेश के बीच की कैमिस्ट्री इतनी अच्छी जम गयी कि आज तो लोग उसकी मिशाले देते नहीं थकते हैं। अखिलेश की लाइफ को लेकर लिखी किताब 'अखिलेश यादव - बदलाव की लहर' में मिली अखिलेश और डिंपल की लव लाइफ को लेकर जिक्र में देखने को मिलता है कि किस तरह दोनों बहाने बनाकर एक दूसरे से छिपकर मिला करते थे। लखनऊ के मोहम्मद बाग क्लब और कैंट सूर्या क्लब में छुपकर मिलने से शुरू हुई यह कहानी अखिलेश के सिडनी जाने के बाद भी नहीं रुकी। उसके बाद भी दोनों लोग एक दूसरे के कांटेक्ट में रहे।
लिया दादी का सहारा और बन गयी बात
जिस दौरान अखिलेश और डिंपल की लव स्टोरी चल रही थी उसी समय पहाड़ी लोग अलग राज्य की मांग कर रहे थे। डिंपल के गांव के लोग मुलायम सिंह के सख्त खिलाफ थे। मुलायम को रिश्ते के बारे में पता चलते ही उनकी चिंता बढ़ गयी कि कहीं विरोधी अखिलेश की जान के दुश्मन न बन जाएं। अखिलेश के सिडनी से वापस आने के बाद ही मुलायम ने उनसे शादी की बात कही। उस समय अखिलेश की दादी मुरती देवी बीमार थी। अखिलेश ने सभी को मनाने के लिए दादी का सहारा लिया। इसके बाद सभी ने हामी भर दी।
पेंटिंग और घुड़सवारी का शौक रखने वाली डिंपल और अखिलेश की बगिया में उनके तीन फूल अदिती, अर्जुन और टीना हैं।
Tuesday 9 January 2018
'विकास' की पहचान बना भगवा, दौड़ में शामिल होने की मची होड़
Lucknow. योगी आदित्यनाथ के यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद तौलिये और मुख्यमंत्री कार्यालय से जौर पकड़ने वाला भगवा रंग किस तरह सरकारी कार्यालयों के विकास की पहचान बन चुका है यह चर्चा का दौर बना हुआ है। आलम यह है कि भगवा रंग के प्रभाव को दिखाने में यह भी ध्यान नहीं दिया गया कि जिस इमारत की दीवारों पर यह रंग चढ़ाया जा रहा है कहां की हैं। इसी कड़ी में जब हज समिति की दीवारों पर यह रंग चढ़ा तो क्या फिर अगले दिन जिम्मेदारों को फजीहत का सामना करना पड़ा और बैकफुट पर आते हुए रंग को बदलवाना पड़ा।
लेकिन इससे इतर राजधानी के पुलिसकर्मियों ने भी अब खुद को विकास की दौड़ में बराबर दिखाते हुए विकास के रंग को पुलिस थानों की दीवारों पर प्रदर्शित करवाने की पहल शुरू कर दी है। आलम यह है कि शहर के बीचोबीच बना कैसरबाग थाना पूरी तरह से भगवा हो चुका है। इसी के साथ देश के टाप 20 थानों में तीसरे स्थान पर आने वाला गुडंबा थाना भी पर्दों से लेकर चंद दिवारों पर विकास को दर्शाता हुआ भगवा रंग में सराबोर होकर गृहमंत्री के आगमन की तैयारी कर रहा है।
साल 2017 के अक्टूबर माह से भगवा रंग को विकास का प्रतीक बनाने की शुरूआत मुख्यमंत्री कार्यालय लाल बहादुर शास्त्री भवन से हुई थी। इसके बाद केसरिया बसों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। बसों को हरी झंडी दिखाने के बाद सवाल तो यह भी खड़ा हुआ कि आखिर विकास की ओर बढ़ती बसों को केसरिया झंडी दिखाकर ही रवाना क्यों नहीं कर दिया गया। बसें ही नहीं बात अगर सूचना विभाग की डायरी और सीएम योगी के ट्वीटर अकाउंट की भी बात की जाए तो वहां भी एक ही रंग दिखाई देता है जो कि केसरिया है।
जब उठे सवाल तो ठेकेदार को बता दिया जिम्मेदार
प्रदेश की भाजपा सरकार के कार्याकाल के आरंभ से ही इमरतों पर भगवा रंग चढ़ने के बाद प्रत्येक बार सरकार को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ता है। हालांकि कई बार यह आलोचना कम तो कई बार ज्यादा हो जाती है। कुछ ऐसा ही हज समिति की दीवारों पर रंगरोदन के बाद हुआ। हज समिति कार्यालय की दीवारों पर चटख भगवा रंग दिखने पर जब सवाल हुए तो इसे ठेकेदार की लापरवाही बताकर जिम्मेदारों ने किनारा कर लिया।
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