Saturday 5 May 2018

सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ, विवाह योग्य उम्र नहीं तो लिव इन में रह सकते हैं वयस्क कपल


Lucknow. सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट का शादी रद्द करने का फैसला पलटते हुए एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट के मुताबिक विवाह हो जाने के बाद उसे रद्द नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने लिव इन को वैध मानते हुए कहा कि शादी के बाद भी अगर वर वधू में से किसी की भी उम्र विवाह योग्य उम्र से कम हो तो दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं। 



पसंद का जीवनसाथी चुनने का अधिकार कोई नहीं छीन सकता 


सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का हक किसी से भी नहीं छीना जा सकता। ना कोर्ट, ना कोई व्यक्ति, संस्था या संगठन यह हक छीन सकता है। अगर युवक विवाह की उम्र 21 साल का नहीं हुआ है तो वह अपनी पत्नी के साथ लिव इन में रह सकता है। यह फैसला वधू पर भी लागू होता है। यदि उसकी उम्र विवाह योग्य नहीं है तो वह अपनी पति के साथ लिव इन में रह सकती है। इसके बाद वह विवाह योग्य अवस्था में आने पर चाहें विवाह करें या यूं ही साथ रहें। 


अदालत को नहीं निभानी चाहिए सुपर अभिभावक की भूमिका 


सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अतिरिक्त संसद ने भी घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 से महिलाओं के संरक्षण के प्रावधान तय कर दिये हैं। कोर्ट ने इसी की व्याख्या करते हुए कहा कि अदालत को मां की किसी भी तरह की भावना या पिता के अहंकार से प्रेरित होकर सुपर अभिभावक की भूमिका नहीं निभानी चाहिए। 


किस मामले में हुई सुनवाई 


जिस मामले में कोर्ट ने यह टिप्पणी दी है वह मामला केरल में अप्रैल 2017 का है। जहां रहने वाली युवती की उम्र तो 19 वर्ष है लेकिन लड़के की उम्र 20 वर्ष यानि विवाह योग्य उम्र से 1 साल कम है। आपको बता दें कि प्रेमी युगल द्वारा स्वेच्छा से शादी के बाद लड़की के पिता ने बेटी के अपहरण का मुकदमा दूल्हे पर दर्ज करवाया था। जिस मामले में केरल उच्च न्यायालय ने लड़की को हैबियस कॉर्पस के तहत अदालत में पेश करने का आदेश दिया और पेशी के बाद विवाह को रदद् कर दिया। फिर लड़की को उसके पिता के सुपुर्द कर दिया गया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि दोनों ही हिंदू हैं अतः हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के तहत यह विवाह एक शून्य विवाह नहीं है। 

तस्वीरें खुद ही बयां कर रही सच्चाई, नेता किस तरह बांट रहे हैं दलितों का दर्द


Lucknow. दलित विरोधी छवि से जूझ रही भारतीय जनता पार्टी का दलितों को प्रभावित करने के लिए चला जा रहा कार्ड इन दिनों उल्टा पड़ता दिखाई दे रहा है। आलम यह है कि बीजेपी नेता खुद ही दलितों को घर जा जाकर किरकिरी करवा रहे हैं। आपको बताते चलें कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी एसटी एक्ट में किये गये बदलाव के बाद केन्द्र सरकार की दलित विरोधी छवि को बदलने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार के मंत्रियों समेत बीजेपी के कई नेता पुरजोर कोशिशों में लगे हुए हैं। लेकिन दलितों के घर खाना खाने, बात करने और फिर उनके घर पर सोने के साथ परेशानियों को जानने का यह सिलसिला उल्टा ही पड़ता जा रहा है।


आइये आपको बताते हैं कि कहां कहां करना पड़ा किरकिरी का सामना
योगी सरकार के मंत्री सुरेश राणा जब अलीगढ़ दलित के घर भोजन करने पहुंचे तो उनके लिए बाकायदा होटल से शाही खाना और मिनरल वाटर मंगाया गया।



यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या भी कानपुर के छाजा गांव में दलित के घर रात बिताने पहुंचे थे। लेकिन दलितों के दुख दर्द बांटने पहुंचे डिप्टी सीएम का इंतजार छुन्नी देवी को घंटो तक दरवाजे पर खड़े होकर करना पड़ा। इसके बाद इंटरनेट पर सामने आई तस्वीर में केशव प्रसाद मौर्या के पास बिसलेरी के बोतलों को देख लोगों ने सवाल खड़ा किया कि यह दलितों के प्रति लगाव है या महज दिखावा है।



यूपी के अलावा अगर बिहार की बात की जाए तो बेगूसराय में केन्द्रीय राज्य मंत्री एसएस अहलुवालिया ने दलित के घर पर खाना खाया जिसके बाद विवादों का दौर शुरु हो गया। मंत्री अहलुवालिया पर आरोप लगा कि उन्होंने बाहर से मंगवाकर खाना खाया। हालांकि इस दौरान जब मंत्री से खाना बाहर से मंगवाने की बात की गयी तो वह भड़क उठे।



किरकिरी की बात की जाए तो चुनावी सरगर्मी के दौरान बीजेपी में शामिल बुक्कल नवाब की शेयर की गयी तस्वीर को लेकर भी काफी चर्चाएं हुईं। आपको बताते चलें कि बुक्कल ने जो तस्वीर शेयर की उसमें वह चारपाई पर सोते हुए दिखे। हालांकि फोटो में उनके पीछे लोग खड़े होकर फोटो खिंचवाने का इंतजार कर रहे थे।

Wednesday 2 May 2018

अपराध नियन्त्रण के दावे को लेकर सत्ता में आई सरकार के शासनकाल में निरंकुश पुलिस पर लगाम कैसे


 Lucknow. अपराध नियन्त्रण के अहम दावे को लेकर यूपी की सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार के शासनकाल में निरंकुश पुलिसकर्मियों पर नियन्त्रण कैसे लगे यह सोचनीय विषय बना हुआ है। 19 मार्च 2017 को यूपी की सत्ता की सबसे ऊंची कुर्सी पर महंत योगी आदित्यनाथ के आसीन होने के बाद प्रदेश की आवाम को यह लगने लगा माने रामराज्य की स्थापना हो गयी है। शुरूआती दिनों की बात की जाए तो जनता का यह स्वप्न परवान चढ़ता गया। आपको बताते चले कि यह वही दौर था जब पूर्व सत्ताधारी पार्टी की जीत के बाद थाने के दरोगा और इंस्पेक्टर तक की टोपी को बंदूक की नाल पर उछाल दिया जाता था। इसके बाद सत्ता पक्ष के कार्यकर्ताओं द्वारा थाने में घुसकर पुलिसकर्मियों को हड़काना और मिनटों में उनका तबादला करवाना तो उन दिनों आम बात ही हो चली थी। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सत्ता पर आसीन होने पर गुंडे और माफियाओं के लेकर की जा रही उद्घोषणाओं के बाद भले ही पुलिस का इकबाल बुलंद हुआ हुआ हो। लेकिन इस सत्य को भी नकारा नहीं जा सकता कि एनकाउंटर के नाम पर पुलिस के हाथ में थमा दी गयी बंदूक भी मुख्यमंत्री, नेताओं और आलाधिकारियों के कंधे पर हाथ रखने के बाद बेलगाम हो गयी है। आलम यह है कि सामने आए मामलों के मुताबिक अगर किसी भी पुलिसकर्मी को किसी व्यक्ति का मिजाज जरा भी नागवांर गुजरे तो उसके सीने पर गोलियों की बौधार कर उसके खिलाफ मोटी फाइल तैयार कर दी जाती है। एण्टी रोमियों स्कवाण्ड के आरम्भ से सड़क पर घूमने वाले लड़कों पर अपनी धमक जमाते जमाते पुलिस अब इस दौर में पहुंच चुकी है कि यूपीकोका का साथ मिलने के बाद उसे बड़े से बड़े नाम को भी समाप्त करने में कोई गुरेज नहीं है। भले ही सत्ता पक्ष और अधिकारी अपनी कार्यप्रणाली को सही बताते हो तमाम तरह के दावे करते हो लेकिन हाल में सामने आए कुछ मामले तो फिलहाल अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं। 

हाल ही में यूपी के इलाहाबाद में पुलिसवालों की गुंडागर्दी का वीडियो सीसीटीवी में कैद हुआ। जहां के तेलियरगंज इलाके एक कार सर्विस सेंटर के अंदर हुए विवाद में पुलिस हेड क्वार्टर इलाहाबाद में तैनात एक सिपाही ने पिस्टल से युवक पर गोली चला दी। लेकिन किसी तरह युवक बचा गया। 


डीजे पर डांस के दौरान लगा पैर तो मार दी गोली 

दूसरा मामला यूपी के फिरोजाबाद जनपद के अरावं का है। जहां डीजे पर डांस के दौरान पैर लगने से एक सिपाही ने 12 वर्षीय मानव को गोली मार दी। इसके बाद आरोपी सिपाही बच्चे का शव लेकर फरार हो गया। आरोपी सिपाही महेंद्र फर्रूखाबाद में ही तैनात है। 
घटना के बाद बच्चे के बिलखते परिजन 

पुलिस चौकी में मामूली विवाद में HCP की हत्या 

फतेहपुर में अप्रैल 2018 में ही पुलिस चौकी के अंदर हुए मामूली विवाद के बाद हेड कॉन्स्टेबल की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। विजयीपुर चौकी में ही तैनात इंचार्ज लक्ष्मीकांत सिंह सेंगर ने डेढ़ साल से तैनात हेड कॉन्स्टेबल दुर्गेश कुमार तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी। 
चौकी के अंदर हेड कॉन्स्टेबल को मारी गोली

नशे में दरोगा ने जिम ट्रेनर को मारी गोली

नोएडा में फरवरी माह में नशे में दरोगा ने बहन की सगाई से लौट रहे जिम ट्रेनर की गोली मारकर हत्या कर दी। जानकारी के मुताबिक चारों दोस्त स्कॉर्पियों से बहरामपुर से बहन की सगाई कर वापस आ रहे थे। इसी बीच जितेंद्र यादव की नोएडा के सेक्टर 122 में सीएनजी पर हुई कहासुनी के बाद विजयदर्शन नाम के पुलिसकर्मी ने गोली मारकर हत्या कर दी। 

मोटरसाइकिल लेकर भाग रहे युवक को मारी गोली

फरवरी माह में ही यूपी के सीतापुर में पुलिस ने मोटरसाइकिल लेकर भाग रहे युवक पर गोली चला दी। इस दौरान अपराधी की मौके पर ही मौत हो गयी। 


गुलजार हुई विवेक के घर की गलियां, आखिर एक दिन पहले कहां थे सभी?

राजधानी में शुक्रवार देर रात एप्पल के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। देर रात तकरीबन 1.30 बजे घटित हुई इस घ...