Monday 1 October 2018

गुलजार हुई विवेक के घर की गलियां, आखिर एक दिन पहले कहां थे सभी?



राजधानी में शुक्रवार देर रात एप्पल के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। देर रात तकरीबन 1.30 बजे घटित हुई इस घटना के बाद कथिततौर पर पुलिस प्रशासन की ओर से भर्सक प्रयास किया गया कि किसी भी तरह से इस घटना को दबाया जा सके। इसके लिए प्रयास तो यहां तक हुआ कि घटना की एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी विवेक की महिला मित्र सना को घर में नजरबंद रखा गया। हालांकि पुलिस के इन सभी कृत्यों की गूंज बाद में दोपहर तकरीबन 12.45 पर एसएसपी कार्यालय में हुई प्रेसवार्ता के दौरान सुनाई दी। इस गूंज का आलम यह रहा कि तीन माह पूर्व राजधानी की कमान संभालने आए एसएसपी कलानिधि नैथानी को पीसी बीच में छोड़कर जाना पड़ा। वहीं इस मामले में पुलिस की जमकर भद्द उस दौरान पिटी जब शाम को आरोपी प्रशान्त कुमार अपने साथियों के साथ मामले में अपनी एफआईआर दर्ज करवाने पहुंचा।  जिसके बाद इस घटना ने एकाएक लखनऊ पुलिस प्रशासन और अधिकारियों के झूठे दावों पर सवाल खड़े कर दिये। इस दौरान पुलिस के जवानों ने ही उनकी कार्यप्रणाली की पोल खोली और कहा कि, "कप्तान साहब फोन नहीं उठा रहे और धमका रहे हैं। इसी के साथ आरोप तो यह भी लगा कि सीएम के दबाव में मामला नहीं दर्ज किया जा रहा।"

मामले में गौर करने वाली बात यह थी कि देर रात तकरीबन 1.30 बजे घटित हुई इस घटना के बाद शनिवार औऱ रविवार को पुलिस का कोई भी प्रदेश स्तरीय अधिकारी और न ही मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ही पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। इस दौरान सिर्फ प्रदेश सरकार के दो मंत्री ही मौके पर पहुंचे। वहीं रविवार को जैसे ही मृतक विवेक का अंतिम संस्कार हुआ वैसे ही विवेक के घर के बाहर तो जैसे नामचीन लोगों और जिम्मेदारों का जमावड़ा लग गया।



विवेक के अंतिम संस्कार के बाद ही डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने विवेक के घर पहुंच परिजनों का दुख जाना। वहीं इस दौरान यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष राजबब्बर भी पीड़ित परिवार से उनका हालचाल जानने पहुंचे। रविवार को देर शाम से शुरु हुआ यह दौर सोमवार को भी जारी रहा। सोमवार सुबह ही सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीड़ित परिवार से मिलकर आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया। जबकि मामले में ठोस कदम उठाने के लिए प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी को भी तलब किया। सोमवार सुबह से शुरु हुआ यह दौर शाम होते होते जारी रहा। इस बीच पूर्व सीएम अखिलेश यादव, राजेंद्र चौधरी और पंखुड़ी पाठक, राजधानी की मेयर संयुक्ता भाटिया ने पीड़ित परिवार के घर पहुंच हालचाल जाना। इसी के साथ कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल और मौजूदा सरकार में मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने भी परिजनों से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना।


लेकिन इस तरह अचानक दाह संस्कार के अगले दिन वीआईपी लोगों का पीड़ित परिवार के घऱ पहुंच हालचाल जानने के बाद एक सवाल जो हर आम आदमी कर रहा है वह यही है कि साहब एक दिन पहले कहां थे आप। फिर क्या किसी की मौत पर भी सियासत जरूरी। फिर अगर आप इस पलों को किसी के दुख में शामिल होना मानते हैं तो ऐसे पलों की तस्वीरें तो दुश्मन भी सोशल मीडिया पर साझा नहीं करते। आपके द्वारा वहां तस्वीरें पोस्ट करने को क्या कहा जाए। क्या सिर्फ यही माना जाए कि लोग इस तरह के पलों में भी सिर्फ एक कोरम पूरा करने जाते हैं जिससे कोई यह न कह सके कि आप वहां गये भी नहीं। या वास्तविकता में यह सच में प्रकट की जा रही भावनाएं है?

गुलजार हुई विवेक के घर की गलियां, आखिर एक दिन पहले कहां थे सभी?

राजधानी में शुक्रवार देर रात एप्पल के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। देर रात तकरीबन 1.30 बजे घटित हुई इस घ...