Friday 28 July 2017

चरखा, सत्याग्रह और अहिंसा के साथ वंदे मातरम भी था आजादी का हिस्सा

आजाद भारत में लगातार वंदे मातरम गाये जाने को लेकर विवाद हो रहा है। वंदे मातरम को गाये जाने को लेकर लागातार अदालती लड़ाइयाँ लड़ी जा रही है। 1905 में बंगाल विभाजन रोकने के लिए हिंदू और मुसलमानों ने एक साथ वंदे मातरम गाया और इसका कोई विरोध या बहिष्कार देखने को नहीं मिला। लेकिन अचानक मुहम्मद अली जिन्ना के नींद से जगाने के बाद वन्दे मातरम के विरोध के स्वर प्रखर होने लगे।
जिन्ना के नींद से जगाने के बाद कुछ मुस्लिम लगातार वन्दे मातरम गाये जाने का विरोध कर रहे हैं। हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट ने राष्ट्रगीत वंदे मातरम को सभी स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में गाये जाने का आदेश दिया। इस फैसले के मुताबिक निजी कार्यालयों औऱ सरकारी कार्यालयों में एक दिन वंदे मातरम गाना ही होगा जबकि शैक्षिक संस्थानों में हफ्ते में एक दिन राष्ट्रगीत गाना अनिवार्य है।
सवाल यह भी है कि यदि अन्य देशों के मुस्लिम देश के सम्मान में लिखा हुआ गीत शान से गाते हैं तो भारत में ही यह विरोध क्यों है। 

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