Tuesday 28 August 2018

फर्श से अर्श तक का सफर तय करने के बाद एकाएक समाजवादी पुष्प से क्यों अलग हुई पंखुड़ी ?


खुदी को कर बुलंद इतना की हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से पूछे बता तेरी रजा क्या है। यह वही लाइन है जो पूर्व सपा प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक की बेवसाइट पर दिखती है। लेकिन पार्टी के नए मीडिया प्रवक्ताओं की लिस्ट आने के बाद कद्दावर प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक ने इस्तीफा देकर तथाकथित समाजवादी सिद्धान्तों से किनारा कर लिया। इसी के साथ उन्होंने आरोप भी लगाया कि मौजूदा समय में पार्टी में रहने से उनका दम घुटता है। मौजूदा समय में उन्हें वह विचारधारा पार्टी के भीतर कहीं दिखाई ही नहीं देती जिससे प्रभावित होकर वह पार्टी से जुड़ी थी। 



पंखुड़ी ने अपने ट्वीट में लिखा कि, "भारी मन से सभी साथियों को सूचित करना चाहती हूँ कि @samajwadiparty के साथ अपना सफ़र मैं अंत कर रही हूँ। 8 साल पहले विचारधारा व युवा नेतृत्व से प्रभावित हो कर मैं इस पार्टी से जुड़ी थी लेकिन आज ना वह विचारधारा दिखती है ना वह नेतृत्व। जिस तरह की राजनीति चल रही है उसमें अब दम घुटता है।" फिलहाल पंखुड़ी किसी भी पार्टी से न जुड़कर उच्च शिक्षा जारी रखने की बात कह रही है। 



8 साल पहले हुई थीं पार्टी में शामिल 


नोएडा की रहने वाली पंखुड़ी पाठक बतौर सपा प्रवक्ता राजनीतिक जगत में एक जाना माना नाम है। तकरीबन 8 साल पहले 2010 में पंखुड़ी सपा से जुड़ी थी। जिसके बाद पार्टी के भीतर जारी विवाद के चलते वह लिखती हैं कि, 'कभी जाति कभी धर्म तो कभी लिंग को ले कर जिस तरह की अभद्र टिप्पणियाँ लगातार की जाती हैं और पार्टी नेतृत्व सब कुछ जान कर भी शांत रहता है यह दिखता है कि नेतृत्व ने भी इस स्तर की राजनीति को स्वीकार कर लिया है। ऐसे माहौल में अपने स्वाभिमान के साथ समझौता कर के बने रहना अब मुमकिन नहीं है। मुझे पता है कि इसके बाद मेरे बारे में तरह तरह की अफ़वाहें फैलायी जाएँगी लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहती हूँ कि मैं किसी भी राजनैतिक दल से सम्पर्क में नहीं हूँ ना ही किसी से जुड़ने का सोच रही हूँ।अन्य ज़िम्मेदारियों के चलते जो उच्च शिक्षा अधूरी रह थी अब उसे पूरा करने का प्रयास करूँगी।'



पंखुड़ी का नहीं था राजनैतिक बैकग्राउंड 

छात्र जीवन से सक्रिय राजनीति में कदम रखने वाली पंखुड़ी का इससे पहले कोई राजनैतिक बैकग्राउंड नहीं था। बावजूद इसके वह सपा में बेहद चर्चित चेहरे के तौर पर उभरी। 1992 में दिल्ली में जन्मी पंखुड़ी के पिता का नाम जेसी पाठक और माता का नाम आरती पाठक है। आरती पेशे से डॉक्टर हैं। इसी के साथ पंखुड़ी का एक छोटा भाई भी है जिसका नाम चिराग पाठक है।
* दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से लॉ की स्टूडेंट थी पंखुड़ी।
* छात्र राजनीति के चलते 2010 में चुनाव जीतकर ज्वाइंट सेक्रेटरी बनी।
* साल 2013 में पंखुड़ी को लोहिया वाहिनी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया।



कई मंत्री और विधायक करते हैं ट्वीटर पर फॉलो 


बतौर प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक कि फैन फालोइंग किसी से भी कम नहीं है। मोदी सरकार के मंत्रियों से लेकर कांग्रेस और आप के कई सांसद, विधायक पंखुड़ी को ट्वीटर पर फॉलो करते हैं। पंखुड़ी की काबिलियत को देखते हुए ही समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया था।  



Saturday 25 August 2018

Raksha Bandhan पर वैदिक राखी का है विशेष महत्व, इस मंत्र का जप होता है फलदाई


सदियों से रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता रहा है। हालांकि समयानुसार इसमें कुछ बदलाव भी देखने को मिलते रहे हैं। बावजूद इसके इस त्योहार ने भाई बहन को प्रेम के एक सूत में बांधने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस सदियों पुरानी परंपरा के साथ ही कुछ ऐसी चीजे भी हैं जो आज भी अपना अलग महत्व रखती हैं। इन्हीं चीजों में वैदिक राखी का रक्षाबंधन विशेष महत्व रखता है। रक्षाबंधन की वैदिक विधि में अगर किसी चीज के सबसे ज्यादा भूमिका रहती है तो वह रक्षा सूत्र यानि राखी की होती है। वैदिक राखी न सिर्फ आपको विरासत से जोड़ती है बल्कि यह पुरानी परम्पराओं को भी बांधे रखने का प्रयास करती है। इसी के साथ भाई के तरक्की के रास्ते में आने वाले अवरोधों को किनारे करती है। 

वैसे तो कच्चे सूत और हल्दी से बना हुआ रक्षासूत्र ही सबसे शुद्ध और शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि रक्षासूत्र को कलाई पर बांधा जाए तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की क्षमता का विकास होता है। इसी के साथ यह हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचरण करता है। 




कैसे बनती है वैदिक राखी 


वैदिक राखी को बनाने के लिए मुख्यतः पांच चीजों की आवश्यकता होती है। जिसमें केसर, चंदन, दूर्वा, अक्षत और सरसों के दाने शामिल हैं। इन्हीं पांच चीजों को रेशम के कपड़े में बांध लाल रंग के कलावे में पिरो देने से वैदिक राखी तैयार होती है। रक्षासूत्र बांधने के समय इस मंत्र का उच्चारण अत्यंत फलदाई बताया गया है।
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल।।


गुलजार हुई विवेक के घर की गलियां, आखिर एक दिन पहले कहां थे सभी?

राजधानी में शुक्रवार देर रात एप्पल के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। देर रात तकरीबन 1.30 बजे घटित हुई इस घ...