आगामी लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर सभी सियासी दल अपनी—अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं। तय रणनीति के मुताबिक सभी दल जमीनी स्तर पर अपनी-अपनी जोर आजमाइश कर रहे हैं। आलम यह है कि जहां सियासी दल एक ओर अन्य दलों के बड़े चेहरों को अपने साथ लाकर वोटों के गणित में बढ़त का खेल तैयार कर रहे हैं। वहीं, इसी बीच समाजवादी पार्टी के नेतृत्व से खफा शिवपाल यादव ने पार्टी से नाराजगी के बाद चुनावी सरगर्मी को और भी बढ़ा दिया है। समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के गठन के बाद एक चीज जो सभी को साफ दिखाई दे रही है वह यह है कि भले ही शिवपाल आगामी चुनाव में खुद कोई बड़ी बढ़त न ले पाए, लेकिन वह अन्य दलों को नुकसान जरूर पहुंचाने वाले हैं। हालांकि राजनीतिक जानकारों का मत है कि यह सेक्युलर मोर्चा गठबंधन के लिए तो नहीं लेकिन भाजपा के लिए फायदेमंद जरूर होगा। वहीं, महागठबंधन से कथिततौर पर भयभीत भाजपा में भी शिवपाल के इस फैसले के बाद खुशी की झलकियां देखी जा सकती है।
पूर्व लोकसभा चुनाव में मोदी लहर की बात की जाए तो यूपी की कुल 80 सीटों में से 71 सीटें भाजपा के खातें में गयी थीं। जबकि 2 सीट कांग्रेस, 2 अपना दल और 5 सीटें सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के खाते में थीं। हालांकि 3 सीटों पर उपचुनाव के बाद भाजपा को गोरखपुर, फूलपुर औऱ कैराना की सीट पर झटका लगा था। जिसके बाद विरोधी दलों की ओर से इस स्वर्णिम पल का जमकर स्वागत किया गया और सत्ताधारी भाजपा की आलोचनाओं में जमकर कसीदे पढ़े गयें।
अपने बिगाड़ रहे खेल
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